बुधवार, 6 जुलाई 2011

चाँद अपना सफ़र ख़तम करता रहा


चाँद अपना सफ़र ख़तम करता रहा,
रात भर आसमान यूं पिघलता रहा, 
दिलों में याद का नश्तर चुभते रहे,
दर्द बन कर शमां दिल में जलता रहा,
...
वो जो दिल से हमें भुलाये बैठे थे,
दिल उनसे मिलने को मचलता रहा,
आंसू पलकों से ना छलका कभी,
दर्द वो चुपके से दिल में पलता रहा,
रोज़ आ कर शबनम रोती रही रात भर,
                                      मेरी तन्हाइयों का सफ़र यूं ही चलता रहा

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें