गुरुवार, 10 मई 2012

॥ऒळावौ॥

एक भाइ राम रे एक नेम राखीयौडौ हुवतौ
रोज आपरी लुगाइ रे दो थापां री मैलतौ
घर मांय काम करीयोडौ हौवै या ना होवै
थांपा री मैलतौ इज
लुगाइ जाय’र पाडौसण ने कैयो
‘बड-भागण म्हारै मोट्यार रे इण मौजै सुं लारौ कद छुटसी..?’
पाडौसण बोली ‘बाइ किंया’
‘म्हनै कूटै घणी’
‘घर मांय काम करीयौडौ राख्या कर , कोइ हाथ इ कोनी लगावै "
‘घर मांय काम करीयौडो राखूं तो इ कूटै’
‘ आज एक’र भळै कर ने ठा कर’
भाइराम मजूरी कर ने शाम रो घरै आयौ तो लुगाइ पाणी रौ लौटो लेय’न सामी गी ..
भाइजी मन मांय विचार करयौ क आज नेम बद्ळया कीकर है..!
घर मांय जाय’र बैठौ तो चाय री गिलास मांग्या पैला हाजर करी...
भाइ सोचण लागयौ आज किण ओळावै मांय कूटांला ..? काम काज सब पूरौ करयौडौ ।
चा पी अर बैठौ तो जीमण तैयार..
भाइ बैठौ जीमण ने मुंडौ उतरियौडौ ,, कवौ दौरौ ढळै गळा सुं..
सोचै " हे द्वारका रा नाथ म्हारौ नेम खंडत होय"
जीम’र बैठौ तो बिछाणौ करयौडौ तैयार कैवे सु जावौ...
अंधारी रात .... भाखळ रै मायनै बिछाणौ करयौडौ ... उपर देख्यौ तो आभै मांय तारा इ तारा दिखै.. पुळप्ळाट करता
भाइराम विचार करयौ क तारां रे बिच मांय डांडी कां री है पूछुं ।
‘सुणै है ’
नैडी आय ने बोली
‘हां सा ’
तारां रे बिचै आ धौळी-धौळी डांडी कांइ री है बता..?
नट जावै तो बैरी कांइ ठा किती ठौके. !
’थानै ठा कोनी क जिका कवांरा जाया( मरया करै ) करै बे लूण रा कटा ढौया करै’
बैठौ होय’र दौ लातां री ठोकी, दो थांपा री ठौकी अर दौ मुकीयां री ठौकी...
लुगाइ बोली ‘ म्हारौ कसूर कांइ..?’
तो बोल्यौ ‘ क गैली इण रै हैठै बिछाणौ करयौ है . थारा बात बांढीयां रे हाथां सु रात रौ कोइ उपर सु लूण रो थैलो छूट ज्यावै तो .. मारणौ चावै तुं म्हनै...