शनिवार, 29 सितंबर 2012

पितृपक्ष पर कुछ खास बातों का रखें ख्याल!

पितृपक्ष पर कुछ खास बातों का रखें ख्याल!

पितृपक्ष शुरू हो रहा है। कल पहला श्राद्ध है। अगले कुछ दिनों तक ऐसे कुछ खास बातों का ख्याल रखना जरूरी है। क्या है श्राद्ध का महत्व? किन किन बातों का रखें ख्याल?

हिन्दु धर्म और वैदिक मान्यताओं के अनुसार अश्विन के श्राद्ध पक्ष के रूप में पुत्र का पुत्रत्व तभी सार्थक माना जाता है जब वह अपने जीवनकाल में जीवित माता-पिता की सेवा करे और उनके मरणोपरांत उनकी बरसी औ
र महालया (पितृपक्ष) में उनका विधिवत श्राद्ध करे। आश्विन कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से आश्विन की अमावस्या तक को पितृपक्ष या महालया पक्ष कहा गया है। तमिलनाडु में इसे आदि अमावसाई, केरल में करिकड़ा वावुबली और महाराष्ट्र में पितृ पंधरवड़ा नाम से जाना जाता है।

श्राद्ध का अर्थ अपने देवताओं, पितरों, वंश के प्रति श्रद्धा प्रकट करना होता है। इस साल 30 सितम्बर से पितृपक्ष शुरू हो रहा है। मान्यता है कि जो लोग अपने शरीर को छोड़कर चले जाते हैं, वे किसी भी रूप में अथवा किसी भी लोक में हों, श्राद्ध पक्ष में वे पृथ्वी पर आते हैं और उनकी तृप्ति के लिए श्रद्धा के साथ जो शुभ संकल्प और तर्पण किया जाता है, वह श्राद्ध होता है।

वेदों के अनुसार पित्रों के लिए किये गये चार प्रकार के विशेष कर्म श्राद्ध कर्म कहलाते हैं तथा ये कर्म हैं हवन, पिंड दान, तर्पण और ब्राह्मण भोजन।

अपने पूर्वजों के प्रति स्नेह, विनम्रता, आदर व श्रद्धा भाव से किया जाने वाला कर्म ही श्राद्ध है। यह पितृ ऋण से मुक्ति पाने का सरल उपाय भी है। इसे पितृयज्ञ भी कहा गया है। हर साल भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन (कुंवार) माह की अमावस्या तक के यह सोलह दिन श्राद्धकर्म के होते हैं।

इस वर्ष श्राद्ध पक्ष की शुरुआत सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या को होगा। देश, काल तथा पात्र में हविष्यादि विधि से जो कर्म यव (तिल) व दर्भ (कुशा) के साथ मंत्रोच्चार के साथ श्रद्धापूर्वक किया जाता है वह श्राद्ध होता है।-
रामदेवसिह बालेसर 

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