~~ नेहरु का भारत रत्न~~ (शेयर करे) भारत रत्न से जुड़ी सियासत पहले तीन भारत रत्न के बाद से डगमगाने लगी। 1954 में देश के सबसे विशिष्ट नागरिक अलंकरण यानी भारत रत्न से उपराष्ट्रपति सर्वेपल्ली राधाकृष्णन, पूर्व गवर्नर जनरल राजगोपालाचारी और नोबेल पुरस्कार से सम्मानित वैज्ञानिक चंद्रशेखर वेंकटरमन को सम्मानित किया गया। लेकिन... अगले ही बरस यानी 1955 में भारत रत्न के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय से जो चौथा नाम निकला वह खुद प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का था। यानी खुद से खुद को सबसे बड़े नागरिक अलंकरण से सम्मानित करने की यह पहली पहल थी। इसके बाद इसका दोहराव सोलह बरस बाद 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया। एक बार फिर पीएमओ से जो नाम भारत रत्न के लिए निकला वह खुद प्रधानमंत्री का था।दरअसल, सत्ता का असर कैसे भारत रत्न जैसे फैसलों में जाहिर होता है, यह 1991 में भी दिखा। तब के प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को यह अलंकरण मरणोपरांत दिए जाने की घोषणा की। चंद्रशेखर की सरकार कांग्रेस के समर्थन से बनी थी और इस फैसले से जाहिर है वे कांग्रेस को खुश करना चाहते नेहरु को भारत रत्न क्यों-1- जिसने कश्मीर को समस्या बना दिया |नेहरू को कश्मीर समस्या का जनक बताया गया है। कश्मीर में जब पाकिस्तानी सेना सर पर पैर रखकर भाग रही थी, उसी समय माउन्टबेटन ने युद्ध विराम करा दिया और 32000 वर्ग मील जमीन पाकिस्तान के कब्जे में चली गई। इसे नेहरू की अदूरदर्शिता ही कहा जाएगा। 2-जिनके लेडी माउंटबेटन (अन्तिम वायसराय लार्ड माउन्टबेटेन की पत्नी एडविना) के साथ नजदीकी सम्बन्ध थे | एडविना की बेटी पामेला हिल्स ने भी इसे स्वीकार किया कि दोनों के बीच भावनात्मक सम्बन्धों को नजदीक से देखा था। एडविना की मृत्यु के बाद उनके सूटकेस से मिले नेहरू के अनेको प्रेम–पत्रों ने इसकी पुष्टि की | इसी आधार पर पामेला ने ‘‘इण्डिया रिमेम्बर्ड : ए पर्सनल एकाउन्ट आफ द माउन्टबेटन ड्यूरिंग द ट्रांसफर आफ पावर’ नामक पुस्तक लिखी। 3-जिन्हें भारत का विभाजन का जबाबदेह माना जाता है | 4-जिन्हें चीन द्वारा भारत पर हमला का जबाबदेह माना जाता है | तिब्बत को चीन की झोली में डालने वाले तथा दलाईलामा को भारत में शरण देकर चीन को भारत का शत्रु बनाने वाले नेहरू ही थे। ‘हिन्दी–चीनी भाई–भाई’ का नारा लगता रहा और चीन ने आक्रमण कर दिया। शत्रु–मित्र की पहचान का प्राय: अभाव था नेहरु में | 5-जिन्हें मुस्लिम तुष्टीकरण का जबाबदेह माना जाता है | 6- जिन्हें भारतीय राजनीति में वंशवाद को बढावा देने का जबाबदेह माना जाता है |भारत में वंशवाद खूब चलता है। मोतीलाल नेहरु- जवाहरलाल नेहरु – इंदिरा गाँधी – राजीव गाँधी, सोनिया गाँधी – राहुल गाँधी इसके स्पष्ट प्रमाण हैं | 7-जिन्हें हिन्दी को भारत की राजभाषा बनने में देरी करना व अन्त में अनन्त काल के लिये स्थगन का जबाबदेह माना जाता है | 8-.जिन्हें ग्रामीण भारत की अनदेखी का जबाबदेह माना जाता है | 9- जिन्हें स्वतंत्र भारत को पाश्चात्य सभ्यता–संस्कृति का दास बनाने का जबाबदेह माना गया है | 10- जिनके बारे में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के चुनाव के पच्चीस वर्ष बाद चक्रवर्ती राज-गोपालचारी ने लिखा-‘‘निस्संदेह बेहतर होता, यदि नेहरू को विदेश मंत्री तथा सरदार पटेल को प्रधानमंत्री बनाया जाता” । यदि बहुमत का आदर किया गया होता तो सरदार पटेल भारत के प्रधानमंत्री होते, परन्तु गांधी, पटेल से घबराते थे। माउन्टबेटेन भी पटेल से चिढ़ते थे। 11- जिन्हें लार्ड माउन्टबेटन के प्रति नैसर्गिक श्रद्धा का जबाबदेह माना गया है |सरदार पटेल, राजेन्द्र प्रसाद, राजगोपालाचारी, नरेन्द्रदेव, जयप्रकाश, लोहिया आदि से नेहरू की कभी नहीं पटी। 12- जिन्हें सुभाषचन्द्र बोस का ठीक से पता नहीं लगाने का जबाबदेह माना जाता है | 13- जिसे खूबसूरत औरतें बहुत पसन्द थी। नेहरू की पद्मजा नायडू, लेडी माउंटबेटेन से खूब पटती थी। श्रीमती बच्चन की चाय उन्हें बहुत पसन्द थी, नर्गिस–सुरैया के वे प्रशंसक थे, वैजयन्ती माला को वे सेब अपने हाथों से खिलाते थे। 14 - जिन्हें भारत द्वारा संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिये चीन के समर्थन का जबाबदेह माना जाता है | 15-जिन्हें वरिष्ठ पत्रकार डॉ. रामप्रसाद मिश्र ने स्वतंत्र भारत का शोक कहा है। ~~जय महाकाल ~~
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें