इस्लामाबाद. पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में रहने वाले हिंदुओं की सुरक्षा में सरकार नाकाम साबित हुई है। नतीजतन हिंदू मुल्क छोड़ कर भारत में बसना चाह रहे हैं।
बलूचिस्तान के 100 हिंदू परिवार भारत में शरण लेने का प्रयास कर रहे हैं। बलूचिस्तान में हिंदू परिवार के सदस्यों के साथ बड़े पैमाने पर अपहरण और फिरौती वसूलने की घटनाएं हो रही हैं। प्रशासन से भी पर्याप्त सुरक्षा न मिलने के कारण, अब वे भारत जाने और वहीं रहने का प्रयास कर रहे हैं। कुछ दिन पहले एक अधिकारी के हवाले से खबर आई थी कि ऐसे परिवारों की संख्या मात्र 27 है, लेकिन यहां के एक अखबार 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' के अनुसार ऐसे परिवारों की संख्या सौ से भी ज्यादा है।
बलूचिस्तान के दक्षिणी पश्चिमी हिस्से में हाल में हिंदुओं के अपहरण की कई वारदात हुई हैं। पिछले साल करीब 291 व्यक्तियों का अपहरण किया गया, जिसमें अधिकांश हिंदू थे। अकेले राजधानी क्वेटा में एक साल में 8 व्यक्तियों का अपहरण हुआ है, जिनमें से 4 हिंदू थे। नसीराबाद जिले में भी हालात काफी खराब हैं। यहां 2010 में 28 व्यक्तियों का अपहरण किया गया, जिसमें से आधे अल्पसंख्यक समुदाय के थे।
बलूचिस्तान के मस्तांग क्षेत्र के पांच हिंदू परिवार भारत में शरण ले चुके हैं और बाकी भी भारत आने की कोशिश कर रहे हैं। यहां रहने वाले विजय कुमार ने कहा यहां रहना हिंदुओं के लिए सुरक्षित नहीं है। एक अन्य व्यक्ति सुरेश कुमार ने कहा कि यहां कानून-व्यवस्था नहीं के बराबर है और हिंदुओं को परेशान किया जा रहा है।
अखबार में छपी रिपोर्ट के अनुसार अपहरण किए गए अधिकांश पीड़ित भारी रकम चुका कर ही रिहा हुए हैं। लेकिन पीड़ित परिवार इस बात का खुलासा नहीं कर रहे कि उन्होंने कितनी रकम चुकाई क्योंकि उन्हें डर है कि वे फिर से अपराधियों का निशाना बन सकते हैं।
करीब 16 महीने पहले यहां के जाने-माने व्यापारी जुहारी लाल का अपहरण कर लिया गया, लेकिन आज तक उनका कुछ पता नहीं चला है। हाल ही में पाकिस्तान में धार्मिक गुरु लख्मीचंद गर्जी का अपहरण कर लिया गया, जिनका अभी तक कुछ अता पता नहीं है। सरकार बस चिंता भर जता रही है। बलूचिस्तान के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री बसंतलाल गुलशन के अनुसार इन घटनाओं से सरकार चिंतित है।
बलूचिस्तान में हुआ था हिंदुओं का नरसंहारबलूचिस्तान में हिंदुओं पर जुल्म की दास्तां पुरानी है। यहां मार्च 2005 में सुरक्षा बलों ने हिंदुओं पर गोलियां चलाकर 33 हिंदुओं को मार दिया था। मरने वालों में अधिकांश महिलाएं और बच्चे थे। इसके बाद कई हजारों अल्पसंख्यकों ने अपने घर छोड़ दिए थे। और तो और, यह घटना पूरी तरह दबा गई। नरसंहार का खुलासा जनवरी 2006 में हुआ, जब पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग के प्रतिनिधि वहां पहुंचे। आयोग को स्थानीय निवासियों ने वीडियो टेप भी उपलब्ध कराए, जिसमें इस हत्याकांड के सबूत थे।
1947 में बंटवारे के वक्त बलूचिस्तान में हिंदू जनसंख्या 22 फीसदी थी, जो अब घटकर केवल 1.6 फीसदी रह गई है। अल्पसंख्यक आयोग की 2003 में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार हिंदुओं के मुस्लिम बस्तियों से गुजरने पर आपत्ति व्यक्त की जाती है। हिंदू छात्राओं को जबरिया मुस्लिम बनाया जा रहा है। हिंदुओं के धर्मस्थल तोड़े जा रहे हैं। कुछ समय पहले तक हिंदू इस इलाके में आर्थिक रूप से काफी संपन्न होते थे, लेकिन मुस्लिम कट्टरपंथियों के कारण, अधिकांश अब यहां से जा चुके हैं। सरकारी नौकरियों में हिंदुओं की संख्या काफी कम है, लेकिन जो भी हैं, वे भी परेशान किए जा रहे हैं।
पाकिस्तान में हिंदू, सिख और ईसाई जैसे अल्पसंख्यक समुदायों के साथ बहुसंख्यक अच्छा बर्ताव नहीं करते हैं। कई हिंदू परिवारों को अपना पुश्तैनी घर छोड़ने और मंदिर को तोड़े जाने के फरमान जारी होते रहते हैं। पेशावर जैसे कई शहरों में ऐसे फरमान जारी हो चुके हैं। हिंदु लड़कियों का अपहरण करके उनके साथ जबर्दस्ती शादी करने और धर्म परिवर्तन की कई घटनाएं हो चुकी हैं। यही वजह है कि १९४८ में पाकिस्तान में जहां हिंदुओं की आबादी करीब १८ फीसदी थी, वही अब घटकर करीब दो फीसदी हो गई है।
पाकिस्तान में तालिबानी कट्टरपंथियों का कहर पिछले कुछ सालों से हिंदू परिवारों पर भी टूट रहा है। हिंदू परिवार की लड़कियों का अपहरण और उनका जबरन धर्म परिवर्तन अब आम बात हो गई है। सरकारी तंत्र ने भी कट्टरपंथियों के आगे घुटने टेक दिए हैं।
हजारों हिंदू खटखटा रहे भारत का दरवाजा
एक आकलन के मुताबिक पिछले छह वर्षो में पाकिस्तान के करीब पांच हजार परिवार भारत पहुंच चुके हैं। इनमें से अधिकतर सिंध प्रांत के चावल निर्यातक हैं, जो अपना लाखों का कारोबार छोड़कर भारत पहुंचे हैं, ताकि उनके बच्चे सुरक्षित रह सकें।
2006 में पहली बार भारत-पाकिस्तान के बीच थार एक्सप्रेस की शुरुआत की गई थी। हफ्ते में एक बार चलनी वाली यह ट्रेन कराची से चलती है भारत में बाड़मेर के मुनाबाओ बॉर्डर से दाखिल होकर जोधपुर तक जाती है। पहले साल में 392 हिंदू इस ट्रेन के जरिए भारत आए। 2007 में यह आंकड़ा बढ़कर 880 हो गया। पिछले साल कुल 1240 पाकिस्तानी हिंदू भारत जबकि इस साल अगस्त तक एक हजार लोग भारत आए और वापस नहीं गए हैं। वह इस उम्मीद में यहां रह रहे हैं कि शायद उन्हें भारत की नागरिकता मिल जाए, इसलिए वह लगातार अपने वीजा की मियाद बढ़ा रहे हैं।
पाकिस्तान में हिंदू:-पाकिस्तान की आबादी का करीब 2.5 फीसदी हिस्सा यानी 26 लाख हिंदुओं का है।
हिंदू समुदाय करीब पूरे पाकिस्तान में फैला हुआ है और 95 फीसदी हिंदू सिंध प्रांत रहते हैं।
सिंध का थारपरकर जिला ही ऐसा है जहां हिंदू बहुमत (51 फीसदी) हैं। इस प्रांत के कुछ अन्य जिलों में भी हिंदुओं की आबाद है जिसमें मीरपुर खास (41 फीसदी), संगहार (35 फीसदी), उमरकोट (43 फीसदी)।
पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं में करीब 82 फीसदी पिछड़ी जाति से संबंधित हैं। इनमें अधिकतर खेतीहर मजदूर हैं।
थारपरकर में हिंदुओं की अपनी जमीन भी है।
पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में हिंदू सदस्य हैं- किशन भील, ज्ञान चंद और रमेश लाल।
कराची, हैदराबाद, जकोबाबाद, लाहौर, पेशावर और क्वेटा जैसे कुछ शहरों में भी हिंदुओं की आबादी रहती है।
फोटो कैप्शन: पाकिस्तान में उजाड़े गए हिंदुओं के घर की फाइल तस्वीर।
आपकी राय पाकिस्तान में लंबे समय से अल्पसंख्यकों के साथ ज्यादती की जा रही है। आखिर कौन है इसका जिम्मेदार? क्या पाकिस्तान सरकार अपना संवैधानिक दायित्व निभाने में सफल रही है? क्या भारत सरकार को इसमें हस्तक्षेप कर पाकिस्तान सरकार से बातचीत करना चाहिए? क्या भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह मामला उठाना चाहिए? क्या भारत सरकार को पाकिस्तान में सताए हुए अल्पसंख्यकों, जिनमें हिंदू और सिख दोनों शामिल हैं, को शरण देना चाहिए? इन सभी मुद्दों पर आप भी दे सकते हैं अपनी राय। नीचे कमेंट बॉक्स में अपनी राय लिख कर सबमिट कर दुनिया भर के पाठकों से साझा कर सकते हैं।
बलूचिस्तान के 100 हिंदू परिवार भारत में शरण लेने का प्रयास कर रहे हैं। बलूचिस्तान में हिंदू परिवार के सदस्यों के साथ बड़े पैमाने पर अपहरण और फिरौती वसूलने की घटनाएं हो रही हैं। प्रशासन से भी पर्याप्त सुरक्षा न मिलने के कारण, अब वे भारत जाने और वहीं रहने का प्रयास कर रहे हैं। कुछ दिन पहले एक अधिकारी के हवाले से खबर आई थी कि ऐसे परिवारों की संख्या मात्र 27 है, लेकिन यहां के एक अखबार 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' के अनुसार ऐसे परिवारों की संख्या सौ से भी ज्यादा है।
बलूचिस्तान के दक्षिणी पश्चिमी हिस्से में हाल में हिंदुओं के अपहरण की कई वारदात हुई हैं। पिछले साल करीब 291 व्यक्तियों का अपहरण किया गया, जिसमें अधिकांश हिंदू थे। अकेले राजधानी क्वेटा में एक साल में 8 व्यक्तियों का अपहरण हुआ है, जिनमें से 4 हिंदू थे। नसीराबाद जिले में भी हालात काफी खराब हैं। यहां 2010 में 28 व्यक्तियों का अपहरण किया गया, जिसमें से आधे अल्पसंख्यक समुदाय के थे।
बलूचिस्तान के मस्तांग क्षेत्र के पांच हिंदू परिवार भारत में शरण ले चुके हैं और बाकी भी भारत आने की कोशिश कर रहे हैं। यहां रहने वाले विजय कुमार ने कहा यहां रहना हिंदुओं के लिए सुरक्षित नहीं है। एक अन्य व्यक्ति सुरेश कुमार ने कहा कि यहां कानून-व्यवस्था नहीं के बराबर है और हिंदुओं को परेशान किया जा रहा है।
अखबार में छपी रिपोर्ट के अनुसार अपहरण किए गए अधिकांश पीड़ित भारी रकम चुका कर ही रिहा हुए हैं। लेकिन पीड़ित परिवार इस बात का खुलासा नहीं कर रहे कि उन्होंने कितनी रकम चुकाई क्योंकि उन्हें डर है कि वे फिर से अपराधियों का निशाना बन सकते हैं।
करीब 16 महीने पहले यहां के जाने-माने व्यापारी जुहारी लाल का अपहरण कर लिया गया, लेकिन आज तक उनका कुछ पता नहीं चला है। हाल ही में पाकिस्तान में धार्मिक गुरु लख्मीचंद गर्जी का अपहरण कर लिया गया, जिनका अभी तक कुछ अता पता नहीं है। सरकार बस चिंता भर जता रही है। बलूचिस्तान के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री बसंतलाल गुलशन के अनुसार इन घटनाओं से सरकार चिंतित है।
बलूचिस्तान में हुआ था हिंदुओं का नरसंहारबलूचिस्तान में हिंदुओं पर जुल्म की दास्तां पुरानी है। यहां मार्च 2005 में सुरक्षा बलों ने हिंदुओं पर गोलियां चलाकर 33 हिंदुओं को मार दिया था। मरने वालों में अधिकांश महिलाएं और बच्चे थे। इसके बाद कई हजारों अल्पसंख्यकों ने अपने घर छोड़ दिए थे। और तो और, यह घटना पूरी तरह दबा गई। नरसंहार का खुलासा जनवरी 2006 में हुआ, जब पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग के प्रतिनिधि वहां पहुंचे। आयोग को स्थानीय निवासियों ने वीडियो टेप भी उपलब्ध कराए, जिसमें इस हत्याकांड के सबूत थे।
1947 में बंटवारे के वक्त बलूचिस्तान में हिंदू जनसंख्या 22 फीसदी थी, जो अब घटकर केवल 1.6 फीसदी रह गई है। अल्पसंख्यक आयोग की 2003 में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार हिंदुओं के मुस्लिम बस्तियों से गुजरने पर आपत्ति व्यक्त की जाती है। हिंदू छात्राओं को जबरिया मुस्लिम बनाया जा रहा है। हिंदुओं के धर्मस्थल तोड़े जा रहे हैं। कुछ समय पहले तक हिंदू इस इलाके में आर्थिक रूप से काफी संपन्न होते थे, लेकिन मुस्लिम कट्टरपंथियों के कारण, अधिकांश अब यहां से जा चुके हैं। सरकारी नौकरियों में हिंदुओं की संख्या काफी कम है, लेकिन जो भी हैं, वे भी परेशान किए जा रहे हैं।
पाकिस्तान में हिंदू, सिख और ईसाई जैसे अल्पसंख्यक समुदायों के साथ बहुसंख्यक अच्छा बर्ताव नहीं करते हैं। कई हिंदू परिवारों को अपना पुश्तैनी घर छोड़ने और मंदिर को तोड़े जाने के फरमान जारी होते रहते हैं। पेशावर जैसे कई शहरों में ऐसे फरमान जारी हो चुके हैं। हिंदु लड़कियों का अपहरण करके उनके साथ जबर्दस्ती शादी करने और धर्म परिवर्तन की कई घटनाएं हो चुकी हैं। यही वजह है कि १९४८ में पाकिस्तान में जहां हिंदुओं की आबादी करीब १८ फीसदी थी, वही अब घटकर करीब दो फीसदी हो गई है।
पाकिस्तान में तालिबानी कट्टरपंथियों का कहर पिछले कुछ सालों से हिंदू परिवारों पर भी टूट रहा है। हिंदू परिवार की लड़कियों का अपहरण और उनका जबरन धर्म परिवर्तन अब आम बात हो गई है। सरकारी तंत्र ने भी कट्टरपंथियों के आगे घुटने टेक दिए हैं।
हजारों हिंदू खटखटा रहे भारत का दरवाजा
एक आकलन के मुताबिक पिछले छह वर्षो में पाकिस्तान के करीब पांच हजार परिवार भारत पहुंच चुके हैं। इनमें से अधिकतर सिंध प्रांत के चावल निर्यातक हैं, जो अपना लाखों का कारोबार छोड़कर भारत पहुंचे हैं, ताकि उनके बच्चे सुरक्षित रह सकें।
2006 में पहली बार भारत-पाकिस्तान के बीच थार एक्सप्रेस की शुरुआत की गई थी। हफ्ते में एक बार चलनी वाली यह ट्रेन कराची से चलती है भारत में बाड़मेर के मुनाबाओ बॉर्डर से दाखिल होकर जोधपुर तक जाती है। पहले साल में 392 हिंदू इस ट्रेन के जरिए भारत आए। 2007 में यह आंकड़ा बढ़कर 880 हो गया। पिछले साल कुल 1240 पाकिस्तानी हिंदू भारत जबकि इस साल अगस्त तक एक हजार लोग भारत आए और वापस नहीं गए हैं। वह इस उम्मीद में यहां रह रहे हैं कि शायद उन्हें भारत की नागरिकता मिल जाए, इसलिए वह लगातार अपने वीजा की मियाद बढ़ा रहे हैं।
पाकिस्तान में हिंदू:-पाकिस्तान की आबादी का करीब 2.5 फीसदी हिस्सा यानी 26 लाख हिंदुओं का है।
हिंदू समुदाय करीब पूरे पाकिस्तान में फैला हुआ है और 95 फीसदी हिंदू सिंध प्रांत रहते हैं।
सिंध का थारपरकर जिला ही ऐसा है जहां हिंदू बहुमत (51 फीसदी) हैं। इस प्रांत के कुछ अन्य जिलों में भी हिंदुओं की आबाद है जिसमें मीरपुर खास (41 फीसदी), संगहार (35 फीसदी), उमरकोट (43 फीसदी)।
पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं में करीब 82 फीसदी पिछड़ी जाति से संबंधित हैं। इनमें अधिकतर खेतीहर मजदूर हैं।
थारपरकर में हिंदुओं की अपनी जमीन भी है।
पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में हिंदू सदस्य हैं- किशन भील, ज्ञान चंद और रमेश लाल।
कराची, हैदराबाद, जकोबाबाद, लाहौर, पेशावर और क्वेटा जैसे कुछ शहरों में भी हिंदुओं की आबादी रहती है।
फोटो कैप्शन: पाकिस्तान में उजाड़े गए हिंदुओं के घर की फाइल तस्वीर।
आपकी राय पाकिस्तान में लंबे समय से अल्पसंख्यकों के साथ ज्यादती की जा रही है। आखिर कौन है इसका जिम्मेदार? क्या पाकिस्तान सरकार अपना संवैधानिक दायित्व निभाने में सफल रही है? क्या भारत सरकार को इसमें हस्तक्षेप कर पाकिस्तान सरकार से बातचीत करना चाहिए? क्या भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह मामला उठाना चाहिए? क्या भारत सरकार को पाकिस्तान में सताए हुए अल्पसंख्यकों, जिनमें हिंदू और सिख दोनों शामिल हैं, को शरण देना चाहिए? इन सभी मुद्दों पर आप भी दे सकते हैं अपनी राय। नीचे कमेंट बॉक्स में अपनी राय लिख कर सबमिट कर दुनिया भर के पाठकों से साझा कर सकते हैं।
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