रोजमर्रा की आदतें वास्तव में आपको स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। आइए जानते हैं कि आपकी क्या आदतें हैं और उनके मुताबिक आपको किन स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का खतरा हो सकता है और उनसे बचाव के बारे में...
बैली सपाट है
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन एजिंग स्टडी से पता चलता है कि जिन महिलाओं की कमर पर ज्यादा चर्बी जमी होती है, उनकी आयु कम होने की संभावना 20 फीसदी अधिक होती है। खासतौर पर मेनोपॉज के बाद महिलाओं को पेट सपाट ही रखना चाहिए। विशेषज्ञ कहते हैं कि हार्मोनल बदलाव के चलते अतिरिक्त वजन पेट के इर्द-गिर्द ही एडजस्ट होता है। यदि आपकी कमर 35 इंच या इससे ज्यादा है तो ये करें।
- 20 मिनट की स्ट्रेंथ ट्रेनिंग दो या तीन बार करें।
- ओमेगा-3 फैटी एसिड के लिए अखरोट, अलसी या मछली और ताजे फल/सब्जियों का सेवन करें।
- 25 फीसदी मोनोसैचुरेटेड फैटी एसिड भोजन में शामिल करें।
टीनएज में हेल्दी रहें
जर्नल ऑफ पीडियाट्रिक्स के अध्ययन में जन्म से 25 वर्ष की उम्र के करीब 137 अफ्रीकन अमेरिकंस पर किए शोध में पाया गया कि किशोरावस्था में जिनका वजन अनियंत्रित था, उन्हें टाइप 2 डायबिटीज होने की आशंका अधिक होती है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार डायबिटीज के मरीजों के हृदय रोगों से पीड़ित होने की आशंका अन्य लोगों की तुलना में दो से चार गुना अधिक होती है।
जामुनी फूड पंसद है
जो लोग जामुनी रंग के ही फल जैसे ब्ल्यूबैरीज या काले अंगूर खाना पसंद करते हैं, उन्हें हृदयरोग व अल्जाइमर जैसी बीमारियां कम घेरती हैं। इन फलों में पॉलिफिनॉल नामक तत्व पाया जाता है, जो रक्त वाहिकाओं और आर्टरीज का लचीलापन बढ़ाता है। साथ ही मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं को भी स्वस्थ रखता है। यूनिवर्सिटी ऑफ सिनसिनाटी के कॉन्गनिटिव डिसऑर्डर सेंटर के निदेशक रॉबर्ट क्रिकोरियान कहते हैं कि नियमित रूप से इन फलों का एक कप सेवन करने से याद्दाश्त तेज होती है।
काम खुद ही करते हैं
70 से 80 वर्ष के करीब 302 बुजुर्गो पर किए गए शोध से सामने आया कि जो लोग अपने घरेलू काम जैसे घर की साफ-सफाई या कपड़े धोने जैसे काम दूसरों से न करवाकर खुद ही करते हैं, उनकी जल्दी मृत्यु की आशंका करीब 30 फीसदी तक कम हो जाती है।
सामाजिक जीवन जीते हैं
स्वीडन स्थित कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं के अनुसार जो लोग सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रहते हैं, उन्हें भूलने की बीमारी यानी डिमेंशिया होने का खतरा कम होता है। वहीं ऐसे लोग तनावग्रस्त भी कम होते हैं। यह अध्ययन 78 वर्ष से अधिक करीब 500 पुरुषों और महिलाओं पर किया गया था।
बन-ठनकर रहते हैं
अमेरिकन साइकोलॉजिस्ट के एक अध्ययन में पाया गया है कि जो लोग अपने लुक्स को लेकर बहुत सजग रहते हैं, वे तनावग्रस्त कम होते हैं। एमॉरी यूनिवर्सिटी में साइकोलॉजी के प्रोफेसर कोरे कीयेस कहते हैं कि जो लोग अपने व्यक्तित्व से खुश नहीं होते हैं या घर-परिवार की जिम्मेदारी निभाने के चक्कर में खुद को समय नहीं दे पाते हैं, वे अकसर किसी न किसी तनाव से घिरे ही रहते हैं। इससे बचना चाहिए।
बैली सपाट है
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन एजिंग स्टडी से पता चलता है कि जिन महिलाओं की कमर पर ज्यादा चर्बी जमी होती है, उनकी आयु कम होने की संभावना 20 फीसदी अधिक होती है। खासतौर पर मेनोपॉज के बाद महिलाओं को पेट सपाट ही रखना चाहिए। विशेषज्ञ कहते हैं कि हार्मोनल बदलाव के चलते अतिरिक्त वजन पेट के इर्द-गिर्द ही एडजस्ट होता है। यदि आपकी कमर 35 इंच या इससे ज्यादा है तो ये करें।
- 20 मिनट की स्ट्रेंथ ट्रेनिंग दो या तीन बार करें।
- ओमेगा-3 फैटी एसिड के लिए अखरोट, अलसी या मछली और ताजे फल/सब्जियों का सेवन करें।
- 25 फीसदी मोनोसैचुरेटेड फैटी एसिड भोजन में शामिल करें।
टीनएज में हेल्दी रहें
जर्नल ऑफ पीडियाट्रिक्स के अध्ययन में जन्म से 25 वर्ष की उम्र के करीब 137 अफ्रीकन अमेरिकंस पर किए शोध में पाया गया कि किशोरावस्था में जिनका वजन अनियंत्रित था, उन्हें टाइप 2 डायबिटीज होने की आशंका अधिक होती है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार डायबिटीज के मरीजों के हृदय रोगों से पीड़ित होने की आशंका अन्य लोगों की तुलना में दो से चार गुना अधिक होती है।
जामुनी फूड पंसद है
जो लोग जामुनी रंग के ही फल जैसे ब्ल्यूबैरीज या काले अंगूर खाना पसंद करते हैं, उन्हें हृदयरोग व अल्जाइमर जैसी बीमारियां कम घेरती हैं। इन फलों में पॉलिफिनॉल नामक तत्व पाया जाता है, जो रक्त वाहिकाओं और आर्टरीज का लचीलापन बढ़ाता है। साथ ही मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं को भी स्वस्थ रखता है। यूनिवर्सिटी ऑफ सिनसिनाटी के कॉन्गनिटिव डिसऑर्डर सेंटर के निदेशक रॉबर्ट क्रिकोरियान कहते हैं कि नियमित रूप से इन फलों का एक कप सेवन करने से याद्दाश्त तेज होती है।
काम खुद ही करते हैं
70 से 80 वर्ष के करीब 302 बुजुर्गो पर किए गए शोध से सामने आया कि जो लोग अपने घरेलू काम जैसे घर की साफ-सफाई या कपड़े धोने जैसे काम दूसरों से न करवाकर खुद ही करते हैं, उनकी जल्दी मृत्यु की आशंका करीब 30 फीसदी तक कम हो जाती है।
सामाजिक जीवन जीते हैं
स्वीडन स्थित कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं के अनुसार जो लोग सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रहते हैं, उन्हें भूलने की बीमारी यानी डिमेंशिया होने का खतरा कम होता है। वहीं ऐसे लोग तनावग्रस्त भी कम होते हैं। यह अध्ययन 78 वर्ष से अधिक करीब 500 पुरुषों और महिलाओं पर किया गया था।
बन-ठनकर रहते हैं
अमेरिकन साइकोलॉजिस्ट के एक अध्ययन में पाया गया है कि जो लोग अपने लुक्स को लेकर बहुत सजग रहते हैं, वे तनावग्रस्त कम होते हैं। एमॉरी यूनिवर्सिटी में साइकोलॉजी के प्रोफेसर कोरे कीयेस कहते हैं कि जो लोग अपने व्यक्तित्व से खुश नहीं होते हैं या घर-परिवार की जिम्मेदारी निभाने के चक्कर में खुद को समय नहीं दे पाते हैं, वे अकसर किसी न किसी तनाव से घिरे ही रहते हैं। इससे बचना चाहिए।
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